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सांवरिया

सांवरिया ज़िंदगी की  कश्मकश का हूँ एक क़िरदार सांवरिया ना  हूँ  राधा , ना  मीरा, बनू दीपक सांवरिया जला दे लौह अंतर्मन में तेरी भक्ति की रुक्मणी नहीं , बन सुदामा तेरे साथ रहू मै सांवरिया बन द्वारपाल द्वारका का पहरा दू मै सांवरिया पार लगाओ नैय्या मेरी बन केवट मेरे सांवरिया लड़ू संसार  से तेरी भक्ति के लिए, जीत जाऊ जग अगर तुम मेरे साथ होसांवरिया|                                                - दीपक काकड़ा 

दो शब्द

बुरे हमे सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे हालात करते है जाने अन्जाने में ही सही वो आज भी हमारी बात करते है एक अर्से पहले इस नाम से घिन थी उनको आज बैठ कर रावण नाम का जाप करते है || ======================================================================== रावण के अस्तित्व का एक ये ही प्रमाण है जो एक बार मर जाता है उसे बार -बार  जलाते नहीं है तुम क्या सोचते हो घमंड चला गया , अभिमान टूट गया , बुराई हार गयी रावण कल भी यहीं था और आज भी यहीं हैं || ======================================================================== मोहब्बत रहमान किसी की तो कुछ भगवन लिखते है मिटा हस्ती अपने इश्क़ को पहचान लिखते है मग़र हम तलवारो के बेटे उन मस्तानो की टोली जो बहाकर ख़ून अपना सरहद पर हिंदुस्तान लिखते है ||                                                                  - अप्रूव विक्रम शाह ==========================================...

मैं तो रावण ही ठीक हूँ

मैं तो रावण ही ठीक हूँ कुछ के लिए बुरा तो कुछ के लिए ताक़त और क्षमता  हूँ | हाँ मै वही रावण हूँ जो आज़ भी अपनी बहन की सुनता हूँ || अपने झूठे स्वाभीमान का अभीमान लोग सतयुग से करते आ रहे है औरतों कि इज़्ज़त उतारने वाले आज खड़े होकर मेरे पुतले जला रहे है पुतला जलने से क्या होगा , हर तरफ़ सिर्फ़ आग और धुआँ होगा अपने गिरेबां में झांकर देख तू ये गुरुरी रावण तझसे अच्छा कही गुना होगा ना मै मरा था ना ही  मै हारा था मझे मेरे विश्वास और मेरे ही  भरोसें ने मारा था हाँ की ग़लती  मैने  एक औरत की इज़्ज़त के लिए दूसरी को उठा लाया था पर उस राम ने सीता को गीता सा साफ़ और कुरान सा पवित्र पाया था तो क्यों सतयुग से लेकर कलयुग तक आज भी सीता अग्नी परीक्षा से गुज़रतीं है कभी अपनों में तो कभी परायो में अपनी पवित्रता साबित करती है हाँ मै वही रावण हूँ जिसको आयोध्या के राजा राम ने हराया था और जिसके लिए हराया था उसे खुद भी अपने पास नहीं रख पाया था हाँ तो ठीक है मै घमंडी , मैं पापी मै ताक़त का प्रतीक हूँ हाँ मैं वही दशानन ज़िद्दी हु और थोड़ा सा ढ़ीट हूँ इस कलयुग के सतयुग में तुम सब राम...