दो शब्द
बुरे हमे सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे हालात करते है
जाने अन्जाने में ही सही वो आज भी हमारी बात करते है
एक अर्से पहले इस नाम से घिन थी उनको
आज बैठ कर रावण नाम का जाप करते है ||
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रावण के अस्तित्व का एक ये ही प्रमाण है
जो एक बार मर जाता है उसे बार -बार जलाते नहीं है
तुम क्या सोचते हो घमंड चला गया , अभिमान टूट गया , बुराई हार गयी
रावण कल भी यहीं था और आज भी यहीं हैं ||
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मोहब्बत रहमान किसी की तो कुछ भगवन लिखते है
मिटा हस्ती अपने इश्क़ को पहचान लिखते है
मग़र हम तलवारो के बेटे उन मस्तानो की टोली
जो बहाकर ख़ून अपना सरहद पर हिंदुस्तान लिखते है ||
- अप्रूव विक्रम शाह
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तुम ज़मीन मांगते हो , हम तुम्हें टुकड़ा भी नहीं देंगे |
शुक्र करो सांसें ले रहे हो , वरना वो इजाज़त भी नहीं देंगे |
तमन्ना रखो दिल में हिंदुस्तानी होने की |
चाँद सितारें वाले झंडे लहराए तो तुम्हारे ख़ून से भी इंकलाब लिख देंगे ||
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