गिर जाना मेरा अंत नहीं
गिर जाना मेरा अंत नहीं
परमे परवाज़ की शक्ति है , मन में आगाज़ की शक्ति है ,
वो चोच में तिनका डालें , डाली पर दो आँखे तकती है ,
वो परख रही है , तूफ़ा के बाज़ू में कितनी ताक़त है ,
वो देख रही है आसमान में नाम मात्र की राहत है ,
पर लगी साँस जब फूलने तो तूफ़ा ने मौका लपक लिया ,
आसमा की उमीदो को ला धरती पर पटक दिया ,
पर झाड़ रही है धूल परो से , रगो में गज़ब रवानी है ,
चोट खाने के बावजूद उड़ने की ललख पुरानी है ,
ग़लत करूंगा साबित सबको , यहां कोई अरिहंत नहीं ,
गिर जाना मेरा अंत नहीं ,गिर जाना मेरा अंत नहीं |
मुखड़े पर धूल लगी माना , माथा फूटा माना लेकिन ,
गालों पर थप्पड़ खाये है , जबड़ा टूटा माना लेकिन ,
माना के आंते अकड़ गई , पसलियों से लहू निकलता है ,
गिस गया है कंकर में घुटना , मिर्च सलिखे जलता है ,
माना के साँसे उखड़ रही, और धक्का लगता धड़कन से ,
लो मान लिया की काँप गया है , पूर्ण बदन अंतर्मन से ,
पर आँखों से अंगारे , नथनों से तूफ़ा लाऊंगा ,
में गिर गिर कर भी धरती पर , हर रोज़ खड़ा हो जाऊंगा ,
मुठ्ठी में बींच लिया तारा , तुम नगर में ढोल पिटादो जी ,
अँधेरे हो लाख़ घने पर अँधेरे अनन्त नहीं ,
गिर जाना मेरा अंत नहीं , गिर जाना मेरा अंत नहीं |
Keep on writing more.. God bless you.
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteBahut accha likha hai aapne....kal aapka bhi naam aayega....ye likhna hi bs tere kaam aayega..
ReplyDeleteYe shubham shyam ne likhi hai sir aapne nahi
ReplyDeletefamoushayarii2022.blogspot.com yahan par or check kar sakte ho
Exactly. Mai bhi confused tha.
DeleteThis comment has been removed by the author.
DeleteBhaut accha bhi
ReplyDeleteThis is originally from Shubham shyam..Copying is ok but courtesy and credit should be mentioned
ReplyDeleteGood one
ReplyDelete