एक ग़ज़ल

एक ग़ज़ल 

एक ग़ज़ल  लिखी तेरे पहलु में तेरी आँखों को यूँ देख कर | 
कि इनमें छुपा है प्यार बस मेरे  लिए बस मेरे लिए || 

एक ग़ज़ल लिखी तेरे पहलु में तेरी आँखों को यूँ देख कर | 
कि पहलु में तेरे बैठ के, तेरी झुल्फों से यूँ खेल के | 
बस दिल में लिखता रहा, तुझे सोचते बस तुझे सोचते || 

एक ग़ज़ल लिखी तेरे पहलु में तेरी आँखों को यूँ देख कर | 
कि शाम भी अब ढल गई , तेरे पहलु में सिमट गई | 
कि चाँदनी भी अब तेरे हुस्न से पिघल गई || 

एक ग़ज़ल लिखी तेरे पहलु में तेरी आँखों को यूँ देख कर | 
गीतों को लिखता रहा , तुझमें ही मै जीता रहु | 
कि मेरी धड़कन भी तेरी धड़कनों से जुड़ गई || 

एक ग़ज़ल लिखी तेरे पहलु में तेरी आँखों को यूँ देख कर | 
अल्फ़ाज़ भी मेरे नहीं , ये गीत भी मेरा नहीं | 
बस तूने जो ना कहा लिख दिया तुझे सोच के तुझे सोच के || 

एक ग़ज़ल लिखी तेरे पहलु में तेरी आँखों को यूँ देख कर | 
कि वक़्त भी अब थम गया , जो तूने वो कह दिया | 
कि ए मेरे हमसफ़र ये दिल भी है तेरे लिए बस तेरे लिए || 

एक ग़ज़ल लिखी तेरे पहलु में तेरी आँखों को यूँ देख कर | 
जब मैंने वो सुन लिया , धड़कन को तेरे जी लिया | 
तुझे पहलु में समेट के होश में ना मै रहा  ना मै रहा || 

एक ग़ज़ल लिखी तेरे पहलु में तेरी आँखों को यूँ देख कर | 
कि इनमें प्यार छुपा है बस मेरे लिए बस मेरे लिए || 


-अनूपम 

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