जितने ऊचे लोग यहां पर उतने नीचे काम है

जितने ऊचे लोग यहां पर उतने नीचे काम है


हर साल जलाते रावण जैसे खुद ही स्वामी राम है |
जितने ऊचे लोग यहां पर उतने नीचे काम है ||

रावण से ब्याते बेटी,  पूजते सियावर राम है |
प्रेम से वंचित पल-पल  रोते राधा घनश्याम है |
ऊच-नीच ने जात-पात ने मचा रखा कोहराम है |
जितने ऊचे लोग यहां पर उतने नीचे काम है ||

है आज भी रावण जिन्दा , शर्मिंदा श्री राम है |
है बाबा में भी राक्षस बसता , बस नाम में ही राम है |
जितने ऊचे लोग यहां पर उतने नीचे काम है ||

-अनूपम 

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